अलंकार – ” काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व अलंकार कहे जाते हैं ! “
अलंकार के तीन भेद हैं –
1. शब्दालंकार – ये शब्द पर आधारित होते हैं ! प्रमुख शब्दालंकार हैं – अनुप्रास , यमक , शलेष , पुनरुक्ति , वक्रोक्ति आदि !
2. अर्थालंकार – ये अर्थ पर आधारित होते हैं ! प्रमुख अर्थालंकार हैं – उपमा , रूपक , उत्प्रेक्षा, प्रतीप , व्यतिरेक , विभावना , विशेषोक्ति ,अर्थान्तरन्यास , उल्लेख , दृष्टान्त, विरोधाभास , भ्रांतिमान आदि !
3.उभयालंकार– उभयालंकार शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित रहकर दोनों को चमत्कृत करते हैं!
1- उपमा – जहाँ गुण , धर्म या क्रिया के आधार पर उपमेय की तुलना उपमान से की जाती है
जैसे –
हरिपद कोमल कमल से ।
हरिपद ( उपमेय )की तुलना कमल ( उपमान ) से कोमलता के कारण की गई ! अत: उपमा अलंकार है !
2- रूपक – जहाँ उपमेय पर उपमान का अभेद आरोप किया जाता है ! जैसे –
अम्बर पनघट में डुबो रही ताराघट उषा नागरी ।
आकाश रूपी पनघट में उषा रूपी स्त्री तारा रूपी घड़े डुबो रही है ! यहाँ आकाश पर पनघट का , उषा पर स्त्री का और तारा पर घड़े का आरोप होने से रूपक अलंकार है !
3- उत्प्रेक्षा – उपमेय में उपमान की कल्पना या सम्भावना होने पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है !
जैसे –
मुख मानो चन्द्रमा है ।
यहाँ मुख ( उपमेय ) को चन्द्रमा ( उपमान ) मान लिया गया है ! यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है !
इस अलंकार की पहचान मनु , मानो , जनु , जानो शब्दों से होती है !
4- यमक – जहाँ कोई शब्द एक से अधिक बार प्रयुक्त हो और उसके अर्थ अलग -अलग हों वहाँ यमक अलंकार होता है ! जैसे –
सजना है मुझे सजना के लिए ।
यहाँ पहले सजना का अर्थ है – श्रृंगार करना और दूसरे सजना का अर्थ – नायक शब्द दो बार प्रयुक्त है ,अर्थ अलग -अलग हैं ! अत: यमक अलंकार है !
5- शलेष – जहाँ कोई शब्द एक ही बार प्रयुक्त हो , किन्तु प्रसंग भेद में उसके अर्थ एक से अधिक हों , वहां शलेष अलंकार है ! जैसे –
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून ।
पानी गए न ऊबरै मोती मानस चून ।।
यहाँ पानी के तीन अर्थ हैं – कान्ति , आत्म – सम्मान और जल ! अत: शलेष अलंकार है , क्योंकि पानी शब्द एक ही बार प्रयुक्त है तथा उसके अर्थ तीन हैं !
6- विभावना – जहां कारण के अभाव में भी कार्य हो रहा हो , वहां विभावना अलंकार है !जैसे –
बिनु पग चलै सुनै बिनु काना ।
वह ( भगवान ) बिना पैरों के चलता है और बिना कानों के सुनता है ! कारण के अभाव में कार्य होने से यहां विभावना अलंकार है !
7- अनुप्रास – जहां किसी वर्ण की अनेक बार क्रम से आवृत्ति हो वहां अनुप्रास अलंकार होता है ! जैसे –
भूरी -भूरी भेदभाव भूमि से भगा दिया ।
‘ भ ‘ की आवृत्ति अनेक बार होने से यहां अनुप्रास अलंकार है !
8- भ्रान्तिमान – उपमेय में उपमान की भ्रान्ति होने से और तदनुरूप क्रिया होने से भ्रान्तिमान अलंकार होता है ! जैसे –
नाक का मोती अधर की कान्ति से , बीज दाड़िम का समझकर भ्रान्ति से,
देखकर सहसा हुआ शुक मौन है, सोचता है अन्य शुक यह कौन है ?
यहां नाक में तोते का और दन्त पंक्ति में अनार के दाने का भ्रम हुआ है , यहां भ्रान्तिमान अलंकार है !
9- सन्देह – जहां उपमेय के लिए दिए गए उपमानों में सन्देह बना रहे तथा निशचय न हो सके, वहां सन्देह अलंकार होता है !जैसे –
सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है ।
सारी ही की नारी है कि नारी की ही सारी है ।
10- व्यतिरेक – जहां कारण बताते हुए उपमेय की श्रेष्ठता उपमान से बताई गई हो , वहां व्यतिरेक अलंकार होता है !जैसे –
का सरवरि तेहिं देउं मयंकू । चांद कलंकी वह निकलंकू ।।
मुख की समानता चन्द्रमा से कैसे दूं ? चन्द्रमा में तो कलंक है , जबकि मुख निष्कलंक है !
11- असंगति – कारण और कार्य में संगति न होने पर असंगति अलंकार होता है ! जैसे –
हृदय घाव मेरे पीर रघुवीरै ।
घाव तो लक्ष्मण के हृदय में हैं , पर पीड़ा राम को है , अत: असंगति अलंकार है !
12- प्रतीप – प्रतीप का अर्थ है उल्टा या विपरीत । यह उपमा अलंकार के विपरीत होता है । क्योंकि इस अलंकार में उपमान को लज्जित , पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है ! जैसे –
सिय मुख समता किमि करै चन्द वापुरो रंक ।
सीताजी के मुख ( उपमेय )की तुलना बेचारा चन्द्रमा ( उपमान )नहीं कर सकता । उपमेय की श्रेष्टता प्रतिपादित होने से यहां प्रतीप अलंकार है !
13- दृष्टान्त – जहां उपमेय , उपमान और साधारण धर्म का बिम्ब -प्रतिबिम्ब भाव होता है,जैसे-
बसै बुराई जासु तन ,ताही को सन्मान ।
भलो भलो कहि छोड़िए ,खोटे ग्रह जप दान ।।
यहां पूर्वार्द्ध में उपमेय वाक्य और उत्तरार्द्ध में उपमान वाक्य है ।इनमें ‘ सन्मान होना ‘ और ‘ जपदान करना ‘ ये दो भिन्न -भिन्न धर्म कहे गए हैं । इन दोनों में बिम्ब -प्रतिबिम्ब भाव है । अत: दृष्टान्त अलंकार है !
14- अर्थान्तरन्यास – जहां सामान्य कथन का विशेष से या विशेष कथन का सामान्य से समर्थन किया जाए , वहां अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है ! जैसे –
जो रहीम उत्तम प्रकृति का करि सकत कुसंग ।
चन्दन विष व्यापत नहीं लपटे रहत भुजंग ।।
15- विरोधाभास – जहां वास्तविक विरोध न होते हुए भी विरोध का आभास मालूम पड़े , वहां विरोधाभास अलंकार होता है ! जैसे –
या अनुरागी चित्त की गति समझें नहीं कोइ ।
ज्यों -ज्यों बूडै स्याम रंग त्यों -त्यों उज्ज्वल होइ ।।
यहां स्याम रंग में डूबने पर भी उज्ज्वल होने में विरोध आभासित होता है , परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है । अत: विरोधाभास अलंकार है !
16- मानवीकरण – जहां जड़ वस्तुओं या प्रकृति पर मानवीय चेष्टाओं का आरोप किया जाता है , वहां मानवीकरण अलंकार है ! जैसे –
फूल हंसे कलियां मुसकाई ।
यहां फूलों का हंसना , कलियों का मुस्कराना मानवीय चेष्टाएं हैं , अत: मानवीकरण अलंकार है!
17- अतिशयोक्ति – अतिशयोक्ति का अर्थ है – किसी बात को बढ़ा -चढ़ाकर कहना । जब काव्य में कोई बात बहुत बढ़ा -चढ़ाकर कही जाती है तो वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है !जैसे –
लहरें व्योम चूमती उठतीं ।
यहां लहरों को आकाश चूमता हुआ दिखाकर अतिशयोक्ति का विधान किया गया है !
18- वक्रोक्ति – जहां किसी वाक्य में वक्ता के आशय से भिन्न अर्थ की कल्पना की जाती है , वहां वक्रोक्ति अलंकार होता है !
– इसके दो भेद होते हैं – (1 ) काकु वक्रोक्ति (2) शलेष वक्रोक्ति ।
1- काकु वक्रोक्ति – वहां होता है जहां वक्ता के कथन का कण्ठ ध्वनि के कारण श्रोता भिन्न अर्थ लगाता है । जैसे –
मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू ।
2- शलेष वक्रोक्ति – जहां शलेष के द्वारा वक्ता के कथन का भिन्न अर्थ लिया जाता है ! जैसे –
को तुम हौ इत आये कहां घनस्याम हौ तौ कितहूं बरसो ।
चितचोर कहावत हैं हम तौ तहां जाहुं जहां धन है सरसों ।।
19- अन्योक्ति – अन्योक्ति का अर्थ है अन्य के प्रति कही गई उक्ति । इस अलंकार में अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन किया जाता है ! जैसे –
नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल ।
अली कली ही सौं बिध्यौं आगे कौन हवाल ।।
यहां भ्रमर और कली का प्रसंग अप्रस्तुत विधान के रूप में है जिसके माध्यम से राजा जयसिंह को सचेत किया गया है , अत: अन्योक्ति अलंकार है !
yamak aur shlesh ka definition ulta hai
@Visha Verma
Definition and example both are correct.
thanq it helps me lot
Which alankar will be there in " shri radhe radhe mukh yeh var harichand ko dije"? Please help.
yes
thu it was very very very bad
no
Thank you are you have a lot of this is not the same time and I have a lot of this is not the same time and I have a lot of this is not the same time and I have a lot
Sir aap ne English k bare may kuch likha. hh to aapki website Bata do plz