Ling (Gender) (लिंग)

लिंग :- संज्ञा के जिस रूप से किसी जाति  का बोध होता है ,उसे लिंग कहते हैं !
इसके दो भेद होते हैं :-


1-  पुल्लिंग :-  जिस संज्ञा शब्दों से पुरुष जाति का बोध होता है , उसे पुल्लिंग कहते हैं –  जैसे – बेटा , राजा  आदि !
2-  स्त्रीलिंग :-  जिन संज्ञा शब्दों से स्त्री जाति का  बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं –  जैसे –  बेटी , रानी आदि !
स्त्रीलिंग प्रत्यय –
पुल्लिंग शब्द को स्त्रीलिंग बनाने के लिए कुछ प्रत्ययों को शब्द में जोड़ा जाता है जिन्हें स्त्री प्रत्यय कहते हैं ! जैसे – 
1.   =   बड़ा – बड़ी , भला – भली 
 
2.  इनी =  योगी – योगिनी , कमल – कमलिनी 
 
3.  इन =   धोबी – धोबिन , तेली – तेलिन 
 
4.  नी =   मोर – मोरनी , चोर – चोरनी 
 
5.  आनी =  जेठ – जेठानी , देवर – देवरानी 
 
6.  आइन =   ठाकुर – ठकुराइन , पंडित – पंडिताइन 
 
7.  इया =   बेटा – बिटिया , लोटा – लुटिया 
 

कुछ शब्द अर्थ की द्रष्टि से समान होते हुए भी लिंग की द्रष्टि से भिन्न होते हैं ! उनका उचित प्रयोग करना चाहिए !जैसे –               

      पुल्लिंग                        स्त्रीलिंग 
                     
1.   कवि                            कवयित्री 
 
2.   विद्वान                          विदुषी 
 
3.   नेता                             नेत्री 
 
4.   महान                           महती 
 
5.   साधु                             साध्वी 
 
(  ऊपर दिए गए  शब्दों का सही प्रयोग करने पर ही शुद्ध वाक्य बनता है !  )
 
जैसे :-   1-  वह एक विद्वान लेखिका है –   (  अशुद्ध वाक्य  )
                 
                 वह एक विदुषी लेखिका है –   (   शुद्ध वाक्य    )

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