क्रिया :- जिस शब्द से किसी कार्य का होना या करना समझा जाय , उसे क्रिया कहते हैं ! जैसे – खाना , पीना , सोना , रहना , जाना आदि !
क्रिया के दो भेद हैं :-
1- सकर्मक क्रिया :- जो क्रिया कर्म के साथ आती है , उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं !
जैसे – मोहन फल खाता है ! ( खाना क्रिया के साथ कर्म फल है )
2- अकर्मक क्रिया :- अकर्मक क्रिया के साथ कर्म नहीं होता तथा उसका फल कर्ता पर पड़ता है !
जैसे – राधा रोती है ! ( कर्म का अभाव है तथा रोती है क्रिया का फल राधा पर पड़ता है )
– रचना के आधार पर क्रिया के पाँच भेद है :-
1- सामान्य क्रिया :-वाक्य में केवल एक क्रिया का प्रयोग ! जैसे – तुम चलो , मोहन पढ़ा आदि !
2- संयुक्त क्रिया :- दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनी क्रियाएँ संयुक्त क्रियाएँ होती है ! जैसे – गीता स्कूल चली गई आदि !
3- नामधातु क्रियाएँ :- क्रिया को छोड़कर दुसरे शब्दों ( संज्ञा , सर्वनाम , एवं विशेषण ) से जो धातु बनते है , उन्हें नामधातु क्रिया कहते है जैसे – अपना – अपनाना , गरम – गरमाना आदि !
4- प्रेरणार्थक क्रिया :- कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य को करने की प्रेरणा देता है जैसे – लिखवाया , पिलवाती आदि !
5- पूर्वकालिक क्रिया :- जब कोई कर्ता एक क्रिया समाप्त करके दूसरी क्रिया करता है तब पहली क्रिया ‘ पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है जैसे – वे पढ़कर चले गये , मैं नहाकर जाउँगा आदि !
Thanks Bro
its really very useful thanx 2 ashish bro
Thank you ��
Thank you fr your valuable info. Request u could give more examples.
thanx boss
Thanks a lot!
Thanks a lot
Thank for giving this information
Nice
Es vakya me jaise ki'mai khana khane gaya.' Kya 'khane' ko purbakalic kriya kaha ja sakta hai.
Sugoii…………….daisuki yo!(awesome, I loveit!)
thanxs bro
Not so much hey!!!!