Hindi Dialects (हिंदी की बोलियाँ )
भाषा – भाषा वह साधन है , जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर , लिखकर या संकेतों द्वारा अपने मन के भावों एवं विचारों का आदान -प्रदान करता है !
भाषा के दो भेद हैं : –
1- मौखिक
2- लिखित
मौखिक रूप भाषा का अस्थायी रूप है लेकिन लिखित रूप स्थायी है !
लिपि – ध्वनियों को अंकित करने के लिए निश्चित किए गए प्रतीक चिन्हों की व्यवस्था को लिपि कहते है ! लिखित रूप भाषा को मानकता प्रदान करता है ! समाज को एक दूसरे से जोड़ने में भाषा के लिखित रूप का महत्वपूर्ण योगदान है !
हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी लिपि है !
भाषा परिवार – भारत में दो भाषा परिवार अधिकांशत: प्रचलित है –
1- भारत यूरोपीय परिवार – उत्तर भारत में बोली जाने वाली भाषाएं ।
2- द्रविड़ भाषा परिवार – तमिल , तेलगू , मलयालम , कन्नड़ ।
बोली – भाषा के सीमित क्षेत्रीय रूप को बोली कहते हैं। एक भाषा के अंतर्गत कई बोलियाँ हो सकती हैं । जबकि एक बोली में कई भाषाएँ नहीं होती ! जिस रूप में आज हिंदी भाषा बोली व समझी जाती है वह खड़ी बोली का ही साहित्यिक भाषा रूप है ! 13 वीं -14 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में अमीर खुसरो ने पहली बार खड़ी बोली में कविता रची ! ब्रजभाषा को सूरदास ने , अवधी को तुलसीदास ने और मैथिली को विधापति ने चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया !
हिंदी का क्षेत्र उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश ,हरियाणा , उत्तरांचल , उत्तरप्रदेश , बिहार ,झारखंड , छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश ,राजस्थान , दिल्ली तथा दक्षिण में अंडमान निकोबार द्वीप समूह तक है ! इसके अलावा पंजाब ,महाराष्ट्र , गुजरात ,बंगाल आदि भागों में सम्पर्क भाषा के रूप में प्रयुक्त होती है !
हिंदी की बोलियाँ =
1- पूर्वी हिंदी – इसका विकास अर्धमागधी अपभ्रंश से हुआ । इसके अंतर्गत अवधी , बघेली व छत्तीसगढ़ी बोलियाँ आती है । अवधी में तुलसीदास ने प्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस व जायसी ने पदमावत की रचना की !
2- पश्चिमी हिंदी = इसका विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ । इसके अंतर्गत ब्रजभाषा , खड़ी बोली , हरियाणवी , बुंदेली और कन्नौजी आती है। ब्रजभाषा का क्षेत्र मथुरा , अलीगढ़ के पास है । सूरदास ने इसे चरमोत्कर्ष पर पहुंचाया । खड़ी बोली दिल्ली , मेरठ , बिजनौर , मुजफ्फरनगर , रामपुर ,मुरादाबाद और सहारनपुर के आसपास बोली जाती थी । बुन्देली का क्षेत्र झाँसी , ग्वालियर व बुन्देलखण्ड के आसपास है । कन्नौजी क्षेत्र कन्नौज , कानपुर , पीलीभीत आदि । हिसार ,जींद ,रोहतक ,करनाल आदि जिलों में बांगरू भाषा बोली जाती है !
3- राजस्थानी हिंदी – इसका विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ । इसके अंतर्गत मेवाड़ी ,मेवाती, मारवाड़ी और हाडौती बोलियाँ है । मेवाड़ी क्षेत्र मेवाड़ के आसपास है । मारवाड़ी का क्षेत्र जोधपुर , अजमेर , जैसलमेर ,बीकानेर आदि है । मेवाती का क्षेत्र उत्तरी राजस्थान ,अलवर ,भरतपुर तथा हरियाणा में गुडगाँव के आसपास है । हाडौती राजस्थान के पूर्वी भाग व जयपुर के आसपास की बोली है !
4- बिहारी – इसके अंतर्गत भोजपुरी , मगही व मैथिली बोलियाँ है । भोजपुरी का क्षेत्र भोजपुर , बनारस ,जौनपुर ,मिर्जापुर ,बलिया ,गोरखपुर ,चम्पारन आदि तक है । मगही का क्षेत्र पटना, गया , हजारीबाग ,मुंगेर व भागलपुर के आसपास की बोली है । मैथिली का क्षेत्र मिथिला ,दरभंगा , मुजफ्फरपुर , पूर्णिया तथा मुंगेर में बोली जाती है । अब मैथिली को आठवीं अनुसूची में एक अलग भाषा के रूप में मान्यता दे दी गई है !
5- पहाड़ी – इसका विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ है । इसकी प्रमुख बोलियाँ गढवाली , कुमायूँनी , नेपाली हैं !