Vritti in Hindi (वृत्ति)

Vritti – वृत्ति :

वृत्ति का अर्थ है मन:स्थिति। इसे क्रियार्थ भी कहते हैं। वक्ता जो कुछ भी कहता है, वह मन:स्थिति अर्थात मन में उत्पन्न भाव-विचार के अनुसार कहता है। अत: वृत्ति का लक्षण हुआ – क्रिया के जिस रूप से वक्ता की वृत्ति अथवा मन:स्थिति का बोध होता है उसे वृत्ति या क्रियार्थ कहते हैं। 

 
हिंदी में वृत्ति के पांच भेद हैं :-
 
1. विध्यर्थ:- विध्यर्थ का अर्थ है – विधि सम्बन्धी तात्पर्य अथवा क्रिया करने की  देने का भाव। उदाहरण : ज़रा समय ‘बताइए। यहाँ ‘समय बताइए’ पूछने वाले की इच्छा का बोधक है अत: बताइए क्रिया रूप से विध्यर्थ का बोध होता है।
 
2. निश्चयार्थ :- जिस क्रिया रूप से कार्य के होने का निश्चित रूप से पता चलता है उसे निश्चयार्थ कहते हैं। जैसे सुरेश क्रिकेट खेल रहा है। यहाँ ‘खेल रहा है‘ क्रिया से निश्चयार्थ प्रकट होता है। सत्य और असत्य के सूचक वाक्य निश्चयार्थ के अंतर्गत आते हैं। 
 
3. संभावनार्थ:- कुछ कथन निश्चित न होकर अनिश्चित होते हैं जैसे संभव है आज वर्षा हो अत: क्रिया के जिस रूप से संभावना का बोध होता है उसे संभावनार्थ कहते हैं। 
 
4. संदेहार्थ :- जिस क्रिया से क्रिया के होने में संदेह का भाव हो उसे संदेहार्थ कहते हैं, अर्थात इस क्रिया के होने के साथ कुछ संदेह बना रहता है जैसे वह गाँव से चल पड़ा होगा इस कथन में निश्चय से साथ कुछ संदेह भी है। 
 
5. संकेतार्थ:- कार्य सिद्धि के लिए किसी शर्त का पूरा होना ज़रूरी होता है अत: जिस वाक्य में दो क्रियाएं होती हैं और दोनों में कार्य – कारण संबंध होता है अर्थात एक क्रिया में कार्य की होने की तथा दूसरी में उसके परिणाम की सूचना रहती है उसे संकेतार्थ क्रिया कहते हैं। दूसरे शब्दों में जहाँ एक कार्य का होना दूसरे कार्य के होने पर निर्भर करता है वहां संकेतार्थ क्रिया होती है जैसे अगर बस आ जायेगी तो मैं ठीक समय पर पहुँच जाउंगा। यहाँ ‘अगर‘, ‘तो’, से संकेतार्थ भाव स्पष्ट है.   

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Indeclinable (Avyay) (अव्यय ( अविकारी शब्द ))

Indeclinable – अव्यय ( अविकारी शब्द ) :

अविकारी शब्द – जिन शब्दों जैसे क्रियाविशेषण ,संबंधबोधक ,समुच्चयबोधक , तथा विस्मयादिबोधक आदि के स्वरूप में किसी भी कारण से परिवर्तन नहीं होता, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं ! अविकारी शब्दों को अव्यय भी कहा जाता है !

अव्यय – अव्यय वे शब्द हैं जिनमें लिंग ,पुरुष ,काल आदि की दृष्टि से कोई परिवर्तन नहीं होता, जैसे – यहाँ ,कब, और आदि ! अव्यय शब्द पांच प्रकार के होते हैं –

 
1 – क्रियाविशेषण – धीरे -धीरे , बहुत 
2 – संबंधबोधक – के साथ , तक 
3 – समुच्चयबोधक – तथा , एवं ,और 
4 – विस्मयादिबोधक – अरे ,हे 
5 – निपात – ही ,भी 
 
1 – क्रियाविशेषण अव्यय – जो अव्यय किसी क्रिया की विशेषता बताते हैं ,वे क्रिया विशेषण कहलाते  हैं , जैसे – मैं बहुत थक गया हूँ । 
     क्रियाविशेषण के चार भेद हैं – 
 
1 – कालवाचक  क्रियाविशेषण– जिन शब्दों से कालसंबंधी क्रिया की विशेषता का बोध हो , 
    जैसे – कल ,आज ,परसों ,जब ,तब सायं आदि ! ( कृष्ण कल जाएगा । )
 
2 – स्थानवाचक  क्रियाविशेषण– जो  क्रियाविशेषण क्रिया के होने या न होने के स्थान का बोध कराएँ , 
जैसे – यहाँ ,इधर ,उधर ,बाहर ,आगे ,पीछे ,आमने ,सामने ,दाएँ ,बाएँ आदि 
                              ( उधर मत जाओ । )
 
3 – परिमाणवाचक  क्रियाविशेषण– जहाँ क्रिया के परिमाण / मात्रा की विशेषता का बोध हो ,
     जैसे – जरा ,थोड़ा , कुछ ,अधिक ,कितना ,केवल आदि ! ( कम खाओ )
             
4 – रीतिवाचक  क्रियाविशेषण– इसमें क्रिया के होने के ढंग का पता चलता है , जैसे – जोर से,
     धीरे -धीरे ,भली -भाँति ,ऐसे ,सहसा ,सच ,तेज ,नहीं ,कैसे ,वैसे ,ज्यों ,त्यों आदि !
     ( वह पैदल चलता है । )
 
2 – संबंधबोधक अव्यय – जो अविकारी शब्द संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के साथ जुड़कर दूसरे शब्दों से उनका संबंध बताते हैं ,संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं , 
जैसे – के बाद , से पहले ,के ऊपर ,के कारण ,से लेकर ,तक ,के अनुसार ,के भीतर ,की खातिर ,के लिए,  के बिना , आदि ! ( विद्या के बिना मनुष्य पशु है । )
 
3 – समुच्चयबोधक अव्यय – दो शब्दों ,वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं ! 
 
जैसे – कि ,मानों ,आदि ,और ,अथवा ,यानि ,इसलिए , किन्तु ,तथापि ,क्योंकि ,मगर ,बल्कि आदि ! (मोहन पढ़ता है और सोहन लिखता है । )
     
4 – विस्मयादिबोधक अव्यय – जो अविकारी शब्द हमारे मन के हर्ष ,शोक ,घृणा ,प्रशंसा , विस्मय आदि भावों को व्यक्त करते हैं , उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं ! जैसे – 
     अरे ,ओह ,हाय ,ओफ ,हे  आदि !( इन शब्दों के साथ संबोधन का चिन्ह ( ! ) भी लगाया 
     जाता हैं ! जैसे – हाय राम ! यह क्या हो गया । )
 
5 – निपात –  जो अविकारी शब्द किसी शब्द या पद के बाद जुड़कर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल भर देते हैं उन्हें निपात कहते हैं ! जैसे – ही ,भी ,तो ,तक ,भर ,केवल/ मात्र ,
     आदि !  ( राम ही लिख रहा है । ) 

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Hindi Idioms (हिंदी मुहावरे)

Hindi Idioms: हिंदी मुहावरे :

  1. अंगूठा दिखाना – मना कर देना 
  2. अक्ल सठियाना – बुद्धि भ्रष्ट होना 
  3. अंगूठे पर रखना – परवाह न करना 
  4. अपना उल्लू सीधा करना – अपना काम बना लेना 
  5. अपनी खिचड़ी अलग पकाना – सबसे अलग रहना 
  6. आँखों का तारा – बहुत प्यारा 
  7. आँखें बिछाना – स्वागत करना 
  8. आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना 
  9. आग बबूला होना – अत्यधिक क्रोध करना 
  10. आस्तिन का सांप होना – कपटी मित्र 
  11. आँखें दिखाना – धमकाना 
  12. आसमान टूट पड़ना – अचानक मुसीबत आ जाना 
  13. आसमान पर दिमाग होना – अहंकारी होना 
  14. ईंट का जवाब पत्थर से देना – करारा जवाब देना 
  15. ईद का चाँद होना – बहुत कम दिखाई देना 
  16. ईंट से ईंट बजाना – ध्वस्त कर देना 
  17. उल्टे छुरे से मूंढ़ना – ठग लेना 
  18. उड़ती चिड़िया के पंख गिनना – अत्यन्त चतुर होना  
  19. ऊंट के मुंह में जीरा होना – अधिक खुराक वाले को कम देना 
  20. एड़ी चोटी का जोर लगाना – बहुत प्रयास करना 
  21. ओखली में सिर देना – जान बूझकर मुसीबत मोल लेना 
  22. औधी खोपड़ी का होना – बेवकूफ होना 
  23. कलेजा ठण्डा होना – शांत होना 
  24. कलेजे पर पत्थर रखना – दिल मजबूत करना 
  25. कलेजे पर सांप लोटना – अन्तर्दाह होना 
  26. कलेजा मुंह को आना –  घबरा जाना 
  27. काठ का उल्लू होना – मूर्ख होना 
  28. कान काटना – चतुर होना 
  29. कान खड़े होना – सावधान हो जाना 
  30. काम तमाम करना – मार डालना 
  31. कुएं में बांस डालना – बहुत खोजबीन करना 
  32. कलई खुलना – पोल खुलना 
  33. कलेजा फटना – दुःख होना 
  34. कीचड़ उछालना – बदनाम करना 
  35. खून खौलना – क्रोध आना 
  36. खून का प्यासा होना – प्राण लेने को तत्पर होना 
  37. खाक छानना – भटकना 
  38. खटाई में पड़ना – व्यवधान आ जाना 
  39. गाल बजाना – डींग हांकना 
  40. गूलर का फूल होना – दुर्लभ होना 
  41. गांठ बांधना – याद रखना 
  42. गुड़ गोबर कर देना – काम बिगाड़ देना 
  43. घाट -घाट का पानी पीना – अनुभवी होना 
  44. घी के दिए जलाना – प्रसन्न होना 
  45. घुटने टेकना – हार मानना 
  46. घड़ों पानी पड़ना – लजिज्त होना 
  47. चाँद का टुकड़ा होना – बहुत सुंदर होना 
  48. चिकना घड़ा होना – बात का असर न होना 
  49. चांदी काटना – अधिक लाभ कमाना 
  50. चांदी का जूता मारना – रिश्वत देना 
  51. छक्के छुड़ाना – परास्त कर देना 
  52. छप्पर फाड़कर देना – अनायास लाभ होना 
  53. छटी का दूध याद आना – अत्यधिक कठिन होना 
  54. छाती पर मूंग दलना – पास रहकर दिल दु:खाना 
  55. छूमन्तर होना – गायब हो जाना 
  56. छाती पर सांप लोटना – ईर्ष्या करना 
  57. जबान को लगाम देना – सोच समझकर बोलना 
  58. जान के लाले पड़ना – प्राण संकट में पड़ना 
  59. जी खट्टा होना – मन फिर जाना 
  60. जमीन पर पैर न रखना – अहंकार होना 
  61. जहर उगलना – बुराई करना 
  62. जान पर खेलना – प्राणों की बाजी लगाना 
  63. टेढ़ी खीर होना – कठिन कार्य 
  64. टांग अड़ाना – दखल देना 
  65. टें बोल जाना – मर जाना 
  66. ठकुर सुहाती कहना – खुशामद करना 
  67. डकार जाना – हड़प लेना 
  68. ढोल की पोल होना – खोखला होना 
  69. तीन तेरह होना – बिखर जाना 
  70. तलवार के घाट उतारना – मार डालना 
  71. थाली का बैगन होना – सिद्धांतहीन होना 
  72. दांत काटी रोटी होना – गहरी दोस्ती 
  73. दो -दो हाथ करना – लड़ना 
  74. धूप में बाल सफेद होना – अनुभव होना 
  75. धाक जमाना – प्रभावित करना 
  76. नाकों चने चबाना – बहुत सताना 
  77. नाक -भौं सिकोड़ना – अप्रसन्नता व्यक्त करना 
  78. पत्थर की लकीर होना – अमिट होना 
  79. पेट में दाढ़ी होना – कम उम्र में अधिक जानना 
  80. पौ बारह होना – खूब लाभ होना 
  81. कालानाग होना – बहुत घातक व्यक्ति 
  82. केर -बेर का संग होना – विपरीत मेल 
  83. धोंधा वसंत होना – मूर्ख व्यक्ति 
  84. घूरे के दिन फिरना – अच्छे दिन आना 
  85. चंडूखाने की बातें करना – झूठी बातें होना 
  86. चंडाल चौकड़ी – दुष्टों का समूह 
  87. छिछा लेदर करना – दुर्दशा करना 
  88. टिप्पस लगाना – सिफारिश करना 
  89. टेक निभाना – प्रण पूरा करना 
  90. तारे गिनना – नींद न आना 
  91. त्रिशंकु होना – अधर में लटकना 
  92. मजा चखाना – बदला लेना 
  93. मन मसोसना – विवश होना 
  94. हाथ पसारना – मांगना 
  95. हाथ मलना – पछताना 
  96. हालत पतली होना – दयनीय दशा होना 
  97. सेमल का फूल होना – थोडें दिनों का असितत्व होना 
  98. सब्जबाग दिखाना – झूठी आशा देना 
  99. भुजा उठाकर कहना – प्रतिज्ञा करना 
  100. हाथ के तोते उड़ना – घबरा जाना

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Hindi Synonyms (हिंदी पर्यायवाची शब्द)

Hindi Synonyms : हिंदी पर्यायवाची शब्द :

1. असुर – दनुज, निशाचर, राक्षस ,दैत्य ,दानव ,रजनीचर ,यातुधान 

2. अमृत – पीयूष , सुधा ,अमिय ,सोम ,सुरभोग ,मधु 
3. अर्जुन – धनंजय , पार्थ , भारत ,गांडीवधारी ,कौन्तेय ,गुडाकेश 
4. अरण्य – जंगल ,वन ,कान्तार ,कानन ,विपिन 
5. अंग – अंश ,भाग ,हिस्सा ,अवयव 
6. आँख – नेत्र ,चक्षु ,लोचन ,दृग ,अक्षि ,विलोचन 

7. आम्र – आम ,रसाल ,सहकार, अतिसौरभ ,पिकवल्लभ 

8. आकाश – अम्बर ,गगन ,नभ , व्योम , शून्य ,अनन्त ,आसमान ,अन्तरिक्ष 
9. अनी – सेना ,फौज ,चमू ,दल ,कटक 

10. इच्छा – कामना ,चाह , आकांक्षा ,मनोरथ ,स्पृहा ,वांछा ,ईहा ,अभिलाषा 

11. इन्द्र – सुरेश ,सुरेन्द्र ,सुरपति ,शचीपति ,देवेन्द्र ,देवेश ,वासव ,पुरन्दर 
12. कमल – राजीव ,पुण्डरीक ,जलज ,पंकज ,सरोज ,सरोरुह ,नलिन ,तामरस ,कंज,अरविन्द, अम्बुज ,सरसिज 
13. किरण – अंशु ,रश्मि ,कर ,मयूख , मरीचि ,प्रभा ,अर्चि 
14. कपड़ा – वस्त्र ,पट ,चीर ,अम्बर ,वसन 

15. कुबेर – धनद ,धनेश ,धनाधिप ,राजराज ,यक्षपति 

16. कामदेव – मनसिज ,मनोज ,काम ,मन्मथ ,मार ,अनंग ,पुष्पधन्वा ,मदन ,कंदर्प , मकरध्वज ,रतिनाथ ,मीनकेतु 

17. कृष्ण – गोविन्द ,गोपाल ,माधव ,कंसारि ,यशोदानन्दन ,देवकीपुत्र ,वासुदेव ,नन्दनन्दन , हरि ,श्याम ,मुरारि ,राधावल्लभ ,यदुराज ,कान्ह ,कन्हैया 

18. कल्पवृक्ष – भंडार ,सुरतरु ,पारिजात ,कल्पद्रुम ,कल्पतरु 

19. कोयल – पिक ,परभृत ,कोकिल ,वसंतदूती ,वसंतप्रिय 
20. गणेश – लम्बोदर ,गजपति ,गणपति ,एकदन्त ,विनायक ,गजवदन ,मोदकप्रिय , मूषकवाहन ,भवानीनन्दन ,गौरीसुत , गजानन 
21. गधा – गदहा ,गर्दभ ,वैशाखनन्दन,रासभ ,खर ,धूसर 
22. गंगा – भागीरथी ,जाह्नवी ,मन्दाकिनी ,विष्णुपदी ,देवापगा ,देवनदी ,सुरसरिता ,सुरसरि
23. गर्व – अहं ,अहंकार ,दर्प ,दम्भ ,अभिमान ,घमण्ड 
24. गाय – धेनु ,गौ ,सुरभि ,गैया ,दोग्धी ,पयस्विनी ,गऊ 
25. चतुर – दक्ष ,पटु ,कुशल ,नागर ,विज्ञ ,निपुण 

26. चन्द्रमा -चन्द्र ,राकापति ,राकेश ,मयंक ,सोम ,शशि ,इन्दु ,मृगांक ,हिमकर ,सुधाकर , कलानिधि ,निशाकर 

27. चोर – दस्यु ,तस्कर ,रजनीचर ,साहसिक ,खनक ,मोषक ,कुम्भिल 

28. जमुना – यमुना ,रविजा ,कालिन्दी ,अर्कजा ,सूर्यसुता ,रवितनया ,तरणि-तनूजा, कृष्णा 

29. जीभ – जिह्वा , रसना ,रसिका ,रसला ,रसज्ञा ,जबान 

30. झण्डा – ध्वजा ,पताका ,केतु ,केतन ,ध्वज 
31. द्रव्य – धन, दौलत ,वित्त ,संपत्ति ,सम्पदा ,विभूति 

32. द्रौपदी – कृष्णा ,द्रुपदसुता ,पांचाली ,याज्ञसेनी ,सैरन्ध्री 

33. धनुष- धनु ,चाप ,कमान ,शरासन, पिनाक ,कोदण्ड 

34. नदी – सरिता ,तटिनी ,आपगा ,निम्नगा ,तरंगिणी ,वाहिनी ,स्रोतस्विनी 

35. नाव – नौका ,तरणि ,तरी ,नैया ,वहित्र ,डोंगी 
36. पृथ्वी – भू,भूमि ,इला ,धरती ,धरित्री ,मेदिनी ,अचला ,वसुधा ,वसुन्धरा ,उर्वी 

37. पत्र – पत्ता ,दल ,पल्लव ,पर्ण ,किसलय 

38. पण्डित – प्राज्ञ ,कोविद ,मनीषी ,विद्वान ,सुधी ,विचक्षण 
39. पुष्प – फूल ,कुसुम, सुमन ,प्रसून ,पुहुप ,फुल्ल 

40. प्रकाश – प्रभा ,कान्ति ,ज्योति ,उजाला ,द्युति 

41. बाण – शर , शिलीमुख ,नाराच, विशिख ,इषु ,तीर 
42. ब्रह्मा – विधि ,विधाता ,स्वयंभू ,चतुरानन ,चतुर्मुख ,कमलासन ,पितामह ,हिरण्यगर्भा 

43. बिजली – चपला ,चंचला ,सौदामिनी ,विद्युत ,दामिनी ,तड़ित ,क्षणप्रभा ,बीजुरी 

44. बन्दर – कपि ,वानर ,शाखामृग ,मर्कट ,हरि 
45. वृक्ष – तरु ,विटप,पादप ,पेड़ ,रुख ,द्रुम 

46. मित्र -सखा ,मीत ,दोस्त ,सहचर ,सुहृद 

47. महेश – शिव ,शंकर ,भूतनाथ ,चन्द्रशेखर ,चन्द्रमौलि ,भोले ,रूद्र ,त्रिलोचन ,त्रिनेत्र , आशुतोष ,पशुपति ,शम्भु 
48. मछली – मत्स्य ,मीन ,शफरी ,झष ,जलजीवन 
49. मनुष्य – मनुज ,आदमी ,इंसान ,मानव ,मनुपुत्र ,नर, व्यक्ति 

50. मदिरा -शराब ,मद्य ,सुरा ,सोमरस ,मधु ,आसव ,वारुणी ,हाला 

51. माला – हार ,मालिका ,दाम ,गुणिका ,सुमिरनी ,माल्य 
52. मोती – मुक्ता , मौक्तिक ,शशिप्रभा ,सीपिज 

53. मुक्ति – मोक्ष ,कैवल्य ,परमपद ,सदगति ,निर्वाण ,अपवर्ग 

54. मयूर – मोर ,नीलकंठ ,शिखी ,शिवसुतवाहन ,कलापी ,केकी 
55. यम – यमराज ,कृतांत ,रविसुत ,धर्मराज ,काल ,अंतक ,जीवितेश ,सूर्यपुत्र ,दण्डधर 

56. रात्रि – रात ,यामिनी ,निशा ,विभावरी ,रजनी ,शर्वरी ,क्षणदा ,रैन 

57. लक्ष्मी – रमा ,चंचला ,विष्णुप्रिया ,कमला ,पदमा ,कमलासना ,पदमासना ,इन्दिरा ,  हरिप्रिया 

58. सम्पूर्ण – सब ,पूरा ,पूर्ण ,निखिल ,अखिल ,नि:शेष ,सकल 

59. सागर – समुद्र ,रत्नाकर ,नदीश ,पयोधि ,वारिधि ,जलधि ,उदधि ,जलनिधि ,नीरनिधि, पारावार ,सिंधु 

60. सर्प – नाग ,भुजग ,भुजंग ,पन्नग ,उरग ,व्याल ,विषधर ,अहि ,फणी ,फणधर 

61. सोना – स्वर्ण ,कंचन ,कांचन ,कनक , हेम ,जातरूप ,सुवर्ण ,हाटक 
62. समूह – समुदाय ,वृन्द ,गण ,संघ ,पुंज ,दल ,झुण्ड 

63. सूर्य – रवि ,अर्क ,भानु ,दिनेश ,दिवाकर ,भास्कर ,सविता ,आदित्य ,अंशुमाली , मार्तण्ड ,दिनकर 

64. सिंह – हरि ,व्याघ्र ,शार्दूल ,केशरी ,कहेरी ,मृगेन्द्र ,मृगराज ,पंचमुख 

65. सुन्दर – रुचिर ,चारू ,रम्य ,रमणीक ,मनभावन ,ललित ,आकर्षक ,मंजुल ,कलित , सुरम्य ,कमनीय ,सुहावना 

66. सेविका – दासी ,नौकरानी ,परिचारिका ,भृत्या ,किंकरी ,अनुचरी 

67. स्तन – पयोधर ,उरोज ,कुच ,वक्षोज 

68. हिमालय – नगराज ,गिरीश ,गिरिवर ,पर्वतेश ,पर्वतराज ,हिमाद्रि ,हिमगिरी ,हिमवान 
69. हाथी – हस्ती ,कुंजर ,नाग ,सिन्धुर ,दन्ती ,करि ,द्विरद , गयंद ,गज ,मातंग 

70. हाथ – हस्त ,भुजा ,पाणि ,कर ,बाहु 

71. हिरन – हरिण ,सारंग ,मृग ,कुरंग ,सुरभी 
72. हवा – पवन ,वायु ,वात ,समीर ,प्रभंजन ,अनिल ,समीरण 

73. हनुमान – पवनपुत्र ,पवनसुत ,कपीश ,बजरंगी ,महावीर ,आंजनेय ,मारुति ,पवनकुमार , रामदूत ,वज्रांगी ,जितेन्द्रिय 

74. हंस – मराल ,चक्रांग ,कलहंस ,मानसीक 

75. हितैषी – शुभेच्छु , हितकायी ,मंगलाकांक्षी ,शुभचिंतक ,हितचिन्तक 

76. मुर्गा – कुक्कुट ,ताम्रचुड़ ,अरुणशिखा ,ताम्रशिख ,उपाकर 

77. भ्रमर – अलि ,मधुकर ,भंवर ,भौंए ,षटपद ,भृंगी 

78. धूल – रज ,माटी ,मिट्टी ,मृत्तिका ,रेणु ,धूलि 
79. पत्थर – पाहन ,पाषण ,शिला ,प्रस्तर ,उपल ,अश्म 

80. तारा – नक्षत्र ,सितारा ,उडु ,तारक 

81. तलवार – असि ,कृपाण ,करवाल ,चन्द्रहास ,खड्ग 
82. दांत – दन्त ,रद ,द्विज ,मुखनुर 

83. बाल – केश ,कच ,कुंतल ,चिकुर ,जटा ,शिरोरुह 

84. कली – मुकुल ,कलिका ,कोरक ,जालक 
85. बहुत – प्रभूत ,प्रचुर ,अपरिमित ,अमित ,अपार ,विपुल 

86. राधा – कृष्ण बल्लभ ,कृष्णप्रिया ,हरिप्रिया ,राधिका ,वृषभानुसुता ,वृषभानुदुलारी , वृषभानुजा ,बृजरानी 

87. वर्षा –  बारिश, बरसात ,पावस ,वृष्टि ,वर्षण 

88. विवाह – ब्याह ,शादी ,पाणिग्रहण ,परिणय 
89. सहेली – सखी ,आली ,अलि ,भटू ,सहचरी ,संगिनी ,सहचारिणी 

90. साधु – साधू ,संत ,वैरागी ,संन्यासी ,महात्मा 

91. पुत्र – सुत, बेटा ,तनय ,आत्मज ,तनुज ,नन्दन ,अपत्य 
92. पुत्री – सुता ,बेटी ,तनया ,आत्मजा ,तनुजा ,नन्दिनी ,दुहिता 

93. धन – श्री ,सम्पत्ति ,सम्पदा ,लक्ष्मी ,वित्त ,अर्थ 

94. बादल – पयोद ,जलज ,अम्बुद ,मेघ ,वारिद ,जलधर ,नीरद ,पयोधर ,वारिधर 
95. ब्राह्मण – द्विज ,भूसुर ,भूदेव ,विप्र ,पण्डित 
96. विष्णु – हरि ,श्रीपति ,लक्ष्मीपति ,चतुर्भुज ,रमापति ,रमेश ,चक्रपाणि ,जनार्दन ,मुकुन्द, नारायण ,माधव ,केशव,अच्युत 
97. अग्नि – आग ,अनल,पावक ,हुताशन,कृशानु ,दहन ,वह्नि ,ज्वाला ,कपिल,शिखि ,धुमध्व्ज 
98. अतिथि – अभ्यागत ,पाहुन ,आगन्तुक ,मेहमान 
99. अश्व – घोड़ा ,हय ,बाजि ,घोटक ,तुरंग ,सैन्धव 
100. चरण – पैर ,पाद ,पाँव ,पग ,पद 

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One Word Definitions (वाक्यांश के लिए एक शब्द)

One Word Definitions 
वाक्यांश के लिए एक शब्द :

  1. जिसका जन्म नहीं होता – अजन्मा 
  2. पुस्तकों की समीक्षा करने वाला – समीक्षक , आलोचक 
  3. जिसे गिना न जा सके – अगणित 
  4. जो कुछ भी नहीं जानता हो – अज्ञ 
  5. जो बहुत थोड़ा जानता हो – अल्पज्ञ 
  6. जिसकी आशा न की गई हो – अप्रत्याशित 
  7. जो इन्द्रियों से परे हो – अगोचर 
  8. जो विधान के विपरीत हो – अवैधानिक 
  9. जो संविधान के प्रतिकूल हो – असंवैधानिक 
  10. जिसे भले -बुरे का ज्ञान न हो – अविवेकी 
  11. जिसके समान कोई दूसरा न हो – अद्वितीय 
  12. जिसे वाणी व्यक्त न कर सके – अनिर्वचनीय 
  13. जैसा पहले कभी न हुआ हो – अभूतपूर्व 
  14. जो व्यर्थ का व्यय करता हो – अपव्ययी 
  15. बहुत कम खर्च करने वाला – मितव्ययी 
  16. सरकारी गजट में छपी सूचना – अधिसूचना 
  17. जिसके पास कुछ भी न हो – अकिंचन 
  18. दोपहर के बाद का समय – अपराह्न 
  19. जिसका निवारण न हो सके – अनिवार्य 
  20. देहरी पर रंगों से बनाई गई चित्रकारी – अल्पना 
  21. आदि से अन्त तक – आघन्त 
  22. जिसका परिहार करना सम्भव न हो – अपरिहार्य 
  23. जो ग्रहण करने योग्य न हो – अग्राह्य 
  24. जिसे प्राप्त न किया जा सके – अप्राप्य 
  25. जिसका उपचार सम्भव न हो – असाध्य 
  26. भगवान में विश्वास रखने वाला – आस्तिक 
  27. भगवान में विश्वास न  रखने वाला- नास्तिक 
  28. आशा से अधिक – आशातीत 
  29. ऋषि की कही गई बात – आर्ष 
  30. पैर से मस्तक तक – आपादमस्तक 
  31. अत्यंत लगन एवं परिश्रम वाला – अध्यवसायी 
  32. आतंक फैलाने वाला – आंतकवादी 
  33. देश के बाहर से कोई वस्तु मंगाना – आयात 
  34. जो तुरंत कविता बना सके – आशुकवि 
  35. नीले रंग का फूल – इन्दीवर 
  36. उत्तर -पूर्व का कोण – ईशान 
  37. जिसके हाथ में चक्र हो – चक्रपाणि 
  38. जिसके मस्तक पर चन्द्रमा हो – चन्द्रमौलि 
  39. जो दूसरों के दोष खोजे – छिद्रान्वेषी 
  40. जानने की इच्छा – जिज्ञासा 
  41. जानने को इच्छुक – जिज्ञासु 
  42. जीवित रहने की इच्छा- जिजीविषा 
  43. इन्द्रियों को जीतने वाला – जितेन्द्रिय 
  44. जीतने की इच्छा वाला – जिगीषु 
  45. जहाँ सिक्के ढाले जाते हैं – टकसाल 
  46. जो त्यागने योग्य हो – त्याज्य 
  47. जिसे पार करना कठिन हो – दुस्तर 
  48. जंगल की आग – दावाग्नि
  49. गोद लिया हुआ पुत्र – दत्तक 
  50. बिना पलक झपकाए हुए – निर्निमेष 
  51. जिसमें कोई विवाद ही न हो – निर्विवाद 
  52. जो निन्दा के योग्य हो – निन्दनीय 
  53. मांस रहित भोजन – निरामिष 
  54. रात्रि में विचरण करने वाला – निशाचर 
  55. किसी विषय का पूर्ण ज्ञाता – पारंगत 
  56. पृथ्वी से सम्बन्धित – पार्थिव 
  57. रात्रि का प्रथम प्रहर – प्रदोष 
  58. जिसे तुरंत उचित उत्तर सूझ जाए – प्रत्युत्पन्नमति 
  59. मोक्ष का इच्छुक – मुमुक्षु 
  60. मृत्यु का इच्छुक – मुमूर्षु 
  61. युद्ध की इच्छा रखने वाला – युयुत्सु 
  62. जो विधि के अनुकूल है – वैध 
  63. जो बहुत बोलता हो – वाचाल 
  64. शरण पाने का इच्छुक – शरणार्थी 
  65. सौ वर्ष का समय – शताब्दी 
  66. शिव का उपासक – शैव 
  67. देवी का उपासक – शाक्त 
  68. समान रूप से ठंडा और गर्म – समशीतोष्ण 
  69. जो सदा से चला आ रहा हो – सनातन 
  70. समान दृष्टि से देखने वाला – समदर्शी 
  71. जो क्षण भर में नष्ट हो जाए – क्षणभंगुर 
  72. फूलों का गुच्छा – स्तवक 
  73. संगीत जानने वाला – संगीतज्ञ 
  74. जिसने मुकदमा दायर किया है – वादी 
  75. जिसके विरुद्ध मुकदमा दायर किया है – प्रतिवादी 
  76. मधुर बोलने वाला – मधुरभाषी 
  77. धरती और आकाश के बीच का स्थान – अन्तरिक्ष 
  78. हाथी के महावत के हाथ का लोहे का हुक – अंकुश 
  79. जो बुलाया न गया हो – अनाहूत 
  80. सीमा का अनुचित उल्लंघन – अतिक्रमण 
  81. जिस नायिका का पति परदेश चला गया हो – प्रोषित पतिका
  82. जिसका पति परदेश से वापस आ गया हो – आगत पतिका 
  83. जिसका पति परदेश जाने वाला हो – प्रवत्स्यत्पतिका 
  84. जिसका मन दूसरी ओर हो – अन्यमनस्क 
  85. संध्या और रात्रि के बीचकी वेला – गोधुलि 
  86. माया करने वाला – मायावी 
  87. किसी टूटी – फूटी इमारत का अंश – भग्नावशेष 
  88. दोपहर से पहले का समय – पूर्वाह्न 
  89. कनक जैसी आभा वाला – कनकाय 
  90. हृदय को विदीर्ण कर देने वाला – हृदय विदारक 
  91. हाथ से कार्य करने का कौशल – हस्तलाघव 
  92. अपने आप उत्पन्न होने वाला – स्त्रैण 
  93. जो लौटकर आया है – प्रत्यागत 
  94. जो कार्य कठिनता से हो सके – दुष्कर 
  95. जो देखा न जा सके – अलक्ष्य 
  96. बाएँ हाथ से तीर चला सकने वाला – सव्यसाची 
  97. वह स्त्री जिसे सूर्य ने भी न देखा हो – असुर्यम्पश्या 
  98. यज्ञ में आहुति देने वाला – हौदा 
  99. जिसे नापना सम्भव न हो – असाध्य 
  100. जिसने किसी दूसरे का स्थान अस्थाई रूप से ग्रहण किया हो – स्थानापन्

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Hindi Antonyms (विलोम शब्द)

Hindi Antonyms – विलोम शब्द :

1. अग्र – पश्च 

2. अज्ञ – विज्ञ 
3. अमृत -विष 
4. अथ – इति 
5. अघोष – सघोष 
6. अधम – उत्तम 
7. अपकार – उपकार 
8. अपेक्षा – उपेक्षा 
9. अस्त – उदय 
10. अनुरक्त – विरक्त 
11. अनुराग – विराग 
12. अन्तरंग – बहिरंग 
13. अवतल – उत्तल 
14. अवर – प्रवर 
15. अमर – मर्त्य 
16. अर्पण – ग्रहण 
17. अवनि – अम्बर 
18. अपमान – सम्मान 
19. अतिवृष्टि – अनावृष्टि 
20. अनुकूल – प्रतिकूल 
21. अन्तर्द्वन्द्व – बहिर्द्वन्द्व 
22. अग्रज – अनुज 
23. अकाल – सुकाल 
24. अर्थ – अनर्थ 
25. अँधेरा – उजाला 
26. अपेक्षित – अनपेक्षित 
27. आदि – अन्त 
28. आस्तिक – नास्तिक 
29. आरम्भ – समापन 
30. आहूत – अनाहूत 
31. आयात – निर्यात 
32. आभ्यन्तर – बाह्य
33. आवृत – अनावृत 
34. आशा – निराशा 
35. आरोहण – अवरोहण 
36. आस्था – अनास्था 
37. आर्द्र – शुष्क 
38. आकाश – पाताल 
39. आवाहन – विसर्जन 
40. आविर्भाव – तिरोभाव 
41. आरोह – अवरोह 
42. आदान – प्रदान 
43. आगामी – विगत 
44. आदर -अनादर 
45. आकर्षण – विकर्षण 
46. आर्य – अनार्य 
47. आश्रित – अनाश्रित 
48. इष्ट – अनिष्ट 
49. इहलोक – परलोक 
50. उग्र – सौम्य 
51. उदात्त – अनुदात्त 
52. उत्कृष्ट – निकृष्ट 
53. उपसर्ग – परसर्ग  
54. उन्मुख – विमुख 
55. उन्नत – अवनत 
56. उद्दत – विनीत 
57. उपमान – उपमेय 
58. उपत्यका – अधित्यका 
59. उत्तरायण – दक्षिणायन 
60. उन्मूलन – रोपण 
61. उष्ण – शीत 
62. उदयाचल – अस्ताचल 
63. उपयुक्त – अनुपयुक्त 
64. उच्च – निम्न 
65. एड़ी – चोटी 
66. ऐहिक – पारलौकिक 
67. औचित्य – अनौचित्य 
68. एक – अनेक 
69. एकत्र – विकीर्ण 
70. एकता – अनेकता 
71. एकाग्र – चंचल 
72. ऐतिहासिक – अनैतिहासिक 
73. औपचारिक – अनौपचारिक 
74. ऋजु – वक्र 
75. ऋत – अनृत 
76. कटु – सरल 
77. कनिष्ट – जयेष्ट 
78. कृष्ण – शुक्ल 
79. कुटिल – सरल 
80. कृत्रिम – अकृत्रिम 
81. करुण – निष्ठुर 
82. कायर – वीर 
83. कुलीन – अकुलीन 
84. क्रय – विक्रय 
85. कल्पित – यथार्थ 
86. कृतज्ञ – कृतघ्न 
87. कोप -कृपा 
88. क्रोध – क्षमा 
89. कृश – स्थूल 
90. क्रिया – प्रतिक्रिया 
91. खण्डन – मण्डन 
92. खरा – खोटा 
93. खाद्य – अखाद्य 
94. गुप्त – प्रकट 
95. गरल – सुधा 
96. गम्भीर – वाचाल 
97. गुरु – लघु 
98. गौरव – लाघव 
99. गोचर – अगोचर 
100. गुण – दोष 
101. ग्राम्य – नागर 
102. घृणा – प्रेम 
103. चिरंतन – नश्वर 
104. चल – अचल 
105. चंचल – अचंचल 
106. चिर – अचिर 
107. जीवन – मरण 
108. जाग्रत – सुप्त 
109. जंगम – स्थावर 
110. जागरण – सुषुप्ति 
111. ज्योति – तम 
112. तरुण – वृद्ध 
113. तृप्त – अतृप्त 
114. तृष्णा – तृप्ति 
115. तीक्ष्ण – कुंठित 
116. दण्ड – पुरस्कार 
117. दानी – कृपण 
118. दुरात्मा – महात्मा 
119. देव – दानव 
120. दिन – रात 
121. धृष्ट – विनीत 
122. निरर्थक – सार्थक 
123. निर्दय – सदय 
124. निषिद्ध – विहित 
125. नैसर्गिक – कृत्रिम 
126. निष्काम – सकाम 
127. परतन्त्र – स्वतन्त्र 
128. प्राचीन – नवीन 
129. प्राची – प्रतीची 
130. प्रभु – भृत्य 
131. प्रसाद – अवसाद 
132. पूर्ववर्ती – परवर्ती  
133. पाश्चात्य – पौवार्त्य 
134. बंजर – उर्वर 
135. भला – बुरा 
136. भूत – भविष्य 
137. मुख्य – गौण 
138. मनुज – दनुज 
139. मूक – वाचाल 
140. मन्द – तीव्र 
141. मौखिक – लिखित 
142. योगी -भोगी 
143. युद्ध – शान्ति 
144. यश – अपयश 
145. योग्य – अयोग्य 
146. राजा – रंक 
147. रक्षक -भक्षक 
148. रुग्ण – स्वस्थ 
149. रुदन – हास्य 
150. रिक्त – पूर्ण 
151. लौकिक – अलौकिक 
152. लम्बा – चौड़ा 
153. व्यास – समास 
154. विख्यात – कुख्यात 
155. विधि – निषेध 
156. विपन्न – सम्पन्न 
157. विपदा – सम्पदा 
158. वृष्टि – अनावृष्टि 
159. शासक – शासित 
160. शिष्ट – अशिष्ट 
161. शिख- नख 
162. श्याम – श्वेत 
163. शोक – हर्ष 
164. शोषक – पोषक 
165. सत्कार – तिरस्कार 
166. संक्षेप – विस्तार 
167. सूक्ष्म – स्थूल 
168. संगठन – विघटन 
169. संयोग – वियोग 
170. सुमति – कुमति 
171. सत्कर्म – दुष्कर्म 
172. सामिष – निरामिष 
173. स्मरण – विस्मरण 
174. संसदीय – असंसदीय 
175. सृजन – संहार 
176. क्षय – अक्षय 
177. क्षुद्र – विराट 
178. ज्ञेय – अज्ञेय 
179. स्वीकृति – अस्वीकृति 
180. भौतिक – आध्यात्मिक 

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Hindi Proverbs (हिंदी लोकोक्तियाँ)

Hindi Proverbs  – हिंदी की प्रमुख लोकोक्तियाँ :

1. अपनी करनी पार उतरनी = जैसा करना वैसा भरना
2. आधा तीतर आधा बटेर = बेतुका मेल
3. अधजल गगरी छलकत जाए = थोड़ी विद्या या थोड़े धन को पाकर वाचाल हो जाना
4. अंधों में काना राजा = अज्ञानियों में अल्पज्ञ की मान्यता होना
5. अपनी अपनी ढफली अपना अपना राग = अलग अलग विचार होना
6. अक्ल बड़ी या भैंस = शारीरिक शक्ति की तुलना में बौद्धिक शक्ति की श्रेष्ठता होना
7. आम के आम गुठलियों के दाम = दोहरा लाभ होना
8. अपने मुहं मियाँ मिट्ठू बनना = स्वयं की प्रशंसा करना
9. आँख का अँधा गाँठ का पूरा = धनी मूर्ख
10. अंधेर नगरी चौपट राजा = मूर्ख के राजा के राज्य में अन्याय होना
11. आ बैल मुझे मार = जान बूझकर लड़ाई मोल लेना
12. आगे नाथ न पीछे पगहा = पूर्ण रूप से आज़ाद होना
13. अपना हाथ जगन्नाथ = अपना किया हुआ काम लाभदायक होता है
14. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत = पहले सावधानी न बरतना और बाद में पछताना
15. आगे कुआँ पीछे खाई = सभी और से विपत्ति आना
16. ऊंची दूकान फीका पकवान = मात्र दिखावा
17. उल्टा चोर कोतवाल को डांटे = अपना दोष दूसरे के सर लगाना
18. उंगली पकड़कर पहुंचा पकड़ना = धीरे धीरे साहस बढ़ जाना
19. उलटे बांस बरेली को = विपरीत कार्य करना
20. उतर गयी लोई क्या करेगा कोई = इज्ज़त जाने पर डर कैसा
21. ऊधौ का लेना न माधो का देना = किसी से कोई सम्बन्ध न रखना
22. ऊँट की चोरी निहुरे – निहुरे = बड़ा काम लुक – छिप कर नहीं होता
23. एक पंथ दो काज = एक काम से दूसरा काम
24. एक थैली के चट्टे बट्टे = समान प्रकृति वाले
25. एक म्यान में दो तलवार = एक स्थान पर दो समान गुणों या शक्ति वाले व्यक्ति साथ नहीं रह सकते
26. एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है = एक खराब व्यक्ति सारे समाज को बदनाम कर देता है
27. एक हाथ से ताली नहीं बजती = झगड़ा दोनों और से होता है
28. एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा = दुष्ट व्यक्ति में और भी दुष्टता का समावेश होना
29. एक अनार सौ बीमार = कम वस्तु , चाहने वाले अधिक
30. एक बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस देय = अकर्मण्य को कोई भी नहीं रखना चाहता
31. ओखली में सर दिया तो मूसलों से क्या डरना = जान बूझकर प्राणों की संकट में डालने वाले प्राणों की चिंता नहीं करते
32. अंगूर खट्टे हैं = वस्तु न मिलने पर उसमें दोष निकालना
33. कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू  तेली = बेमेल एकीकरण
34. काला अक्षर भैंस बराबर = अनपढ़ व्यक्ति
35. कोयले की दलाली में मुहं काला = बुरे काम से बुराई मिलना
36. काम का न काज का दुश्मन अनाज का =  बिना काम किये बैठे बैठे खाना
37. काठ की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती= कपटी व्यवहार हमेशा नहीं किया जा सकता
38. का बरखा जब कृषि सुखाने = काम बिगड़ने पर सहायता व्यर्थ होती है
39. कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव पर = समय पड़ने पर एक दुसरे की मदद करना
40. खोदा पहाड़ निकली चुहिया = कठिन परिश्रम का तुच्छ परिणाम
41. खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे = अपनी शर्म छिपाने के लिए व्यर्थ का काम करना
42. खग जाने खग की ही भाषा = समान प्रवृति वाले लोग एक दुसरे को समझ पाते हैं
43. गंजेड़ी यार किसके, दम लगाई खिसके = स्वार्थ साधने के बाद साथ छोड़ देते हैं
44. गुड़ खाए गुलगुलों से परहेज = ढोंग रचना
45. घर की मुर्गी दाल बराबर = अपनी वस्तु का कोई महत्व नहीं
46. घर का भेदी लंका ढावे = घर का शत्रु  अधिक खतरनाक होता है
47. घर खीर तो बाहर भी खीर = अपना घर संपन्न हो तो बाहर भी सम्मान मिलता है
48. चिराग तले अँधेरा = अपना दोष स्वयं दिखाई नहीं देता
49. चोर की दाढ़ी में तिनका = अपराधी व्यक्ति सदा सशंकित रहता है
50. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए = कंजूस होना
51. चोर चोर मौसेरे भाई = एक से स्वभाव वाले व्यक्ति
52. जल में रहकर मगर से बैर = स्वामी से शत्रुता नहीं करनी चाहिए
53. जाके पाँव न फटी बिवाई सो क्या जाने पीर पराई = भुक्तभोगी ही दूसरों का दुःख जान पाता है
54. थोथा चना बाजे घना = ओछा आदमी अपने महत्व का अधिक प्रदर्शन करता है
55. छाती पर मूंग दलना = कोई ऐसा काम होना जिससे आपको और दूसरों को कष्ट पहुंचे
56. दाल भात में मूसलचंद = व्यर्थ में दखल देना
57. धोबी का कुत्ता घर का न घाट का = कहीं का न रहना
58. नेकी और पूछ पूछ = बिना कहे ही भलाई करना
59. नीम हकीम खतरा ए जान = थोडा ज्ञान खतरनाक होता है
60. दूध का दूध पानी का पानी = ठीक ठीक न्याय करना
61. बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद = गुणहीन गुण को नहीं पहचानता
62. पर उपदेश कुशल बहुतेरे = दूसरों को उपदेश देना सरल है
63. नाम बड़े और दर्शन छोटे = प्रसिद्धि के अनुरूप गुण न होना
64. भागते भूत की लंगोटी सही = जो मिल जाए वही काफी है
65. मान न मान मैं तेरा मेहमान = जबरदस्ती गले पड़ना
66. सर मुंडाते ही ओले पड़ना = कार्य प्रारंभ होते ही विघ्न आना
67. हाथ कंगन को आरसी क्या = प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या जरूरत है
68. होनहार बिरवान के होत चिकने पात  = होनहार व्यक्ति का बचपन में ही पता चल जाता है
69. बद अच्छा बदनाम बुरा = बदनामी बुरी चीज़ है
70. मन चंगा तो कठौती में गंगा = शुद्ध मन से भगवान प्राप्त होते हैं
71. आँख का अँधा, नाम नैनसुख = नाम के विपरीत गुण होना
72. ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया = संसार में कहीं सुख है तो कहीं दुःख है 
73. उतावला सो बावला = मूर्ख व्यक्ति जल्दबाजी में काम करते हैं 
74. ऊसर बरसे तृन नहिं जाए = मूर्ख पर उपदेश का प्रभाव नहीं पड़ता 
75. ओछे की प्रीति बालू की भीति = ओछे व्यक्ति से मित्रता टिकती नहीं है 
76. कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा = सिद्धांतहीन गठबंधन 
77. कानी के ब्याह में सौ जोखिम = कमी होने पर अनेक बाधाएं आती हैं 
78. को उन्तप होब ध्यहिंका हानी = परिवर्तन का प्रभाव न पड़ना 
79. खाल उठाए सिंह की स्यार सिंह नहिं होय = बाहरी रूप बदलने से गुण नहीं बदलते 
80. गागर में सागर भरना = कम शब्दों में अधिक बात करना 
81. घर में नहीं दाने , अम्मा चली भुनाने = सामर्थ्य से बाहर कार्य करना 
82. चौबे गए छब्बे बनने दुबे बनकर आ गए = लाभ के बदले हानि 
83. चन्दन विष व्याप्त नहीं लिपटे रहत भुजंग = सज्जन पर कुसंग का प्रभाव नहीं पड़ता 
84. जैसे नागनाथ वैसे सांपनाथ = दुष्टों की प्रवृति एक जैसी होना 
85. डेढ़ पाव आटा पुल पै रसोई = थोड़ी सम्पत्ति पर भारी दिखावा 
86. तन पर नहीं लत्ता पान खाए अलबत्ता = झूठी रईसी दिखाना 
87. पराधीन सपनेहुं सुख नाहीं = पराधीनता में सुख नहीं है 
88. प्रभुता पाहि काहि मद नहीं = अधिकार पाकर व्यक्ति घमंडी हो जाता है 
89. मेंढकी को जुकाम = अपनी औकात से ज्यादा नखरे 
90. शौक़ीन बुढिया चटाई का लहंगा = विचित्र शौक 
91. सूरदास खलकारी का या चिदै न दूजो रंग = दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता 
92. तिरिया तेल हमीर हठ चढ़े न दूजी बार = दृढ प्रतिज्ञ लोग अपनी बात पे डटे रहते हैं 
93. सौ सुनार की, एक लुहार की = निर्बल की सौ चोटों की तुलना में बलवान की एक चोट काफी है 
94. भई गति सांप छछूंदर केरी = असमंजस की स्थिति में पड़ना 
95. पुचकारा कुत्त सिर चढ़े = ओछे लोग मुहं लगाने पर अनुचित लाभ उठाते हैं 
96. मुहं में राम बगल में छुरी = कपटपूर्ण व्यवहार 
97. जंगल में मोर नाचा किसने देखा = गुण की कदर गुणवानों के बीच ही होती है 
98. चट मंगनी पट ब्याह = शुभ कार्य तुरंत संपन्न कर देना चाहिए 
99. ऊंट बिलाई लै गई तौ हाँजी-हाँजी कहना = शक्तिशाली की अनुचित बात का समर्थन करना 
100. तीन लोक से मथुरा न्यारी = सबसे अलग रहना 

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Hindi as Rajbhasha (हिंदी राजभाषा के रूप में)

 Hindi as Rajbhasha:

1- राष्ट्रभाषा – किसी देश के बहुसंख्यक लोगों की भाषा को राष्ट्रभाषा कहा जाता है । भारत के बहुसंख्यक लोग हिंदी को बोलते -समझते हैं ,अत: भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी है ! यह भाषा अन्य किसी भी भारतीय भाषा की तुलना में अधिक लोगों के द्वारा प्रयोग में लाई जाती है , इसलिए हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा कही जाती है !
2- राजभाषा – राजभाषा का अर्थ है – सरकारी कामकाज की भाषा । जो भाषा संविधान द्वारा सरकारी कामकाज की भाषा के रूप में स्वीकृत होती है , उसे उस देश की राजभाषा कहते हैं ! भारत में हिंदी को संविधान की धारा 343  अध्याय -1 भाग -17 के अनुसार राजभाषा घोषित किया जा चुका है ! इसके अनुसार – ” संघ की भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी । “
 
3- हिन्दी दिवस – भारत की संविधान निर्मात्री सभा ने 14 सितम्बर , 1949 को निर्णय लिया कि हिंदी भारत संघ की राजभाषा होगी । तब से प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है !

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Hindi Dialects (हिंदी की बोलियाँ)

Hindi Dialects  (हिंदी की बोलियाँ )

भाषा – भाषा वह साधन है , जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर , लिखकर या संकेतों द्वारा अपने मन के भावों एवं विचारों का आदान -प्रदान करता है !


भाषा के दो भेद हैं : –

 
1- मौखिक 
2- लिखित 
 
मौखिक रूप भाषा का अस्थायी रूप है लेकिन लिखित रूप स्थायी है !
 
लिपि – ध्वनियों को अंकित करने के लिए निश्चित किए गए प्रतीक चिन्हों की व्यवस्था को लिपि कहते है ! लिखित रूप भाषा को मानकता प्रदान करता है ! समाज को एक दूसरे से जोड़ने  में भाषा के लिखित रूप का महत्वपूर्ण योगदान है ! 
 
हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी लिपि है !
 
भाषा परिवार – भारत में दो भाषा परिवार अधिकांशत: प्रचलित है –
 
1- भारत यूरोपीय परिवार – उत्तर भारत में बोली जाने वाली भाषाएं ।
 
2- द्रविड़ भाषा परिवार – तमिल , तेलगू , मलयालम , कन्नड़ ।
 
बोली – भाषा के सीमित क्षेत्रीय रूप को बोली कहते हैं। एक भाषा के अंतर्गत कई बोलियाँ हो सकती हैं । जबकि एक बोली में कई भाषाएँ नहीं होती ! जिस रूप में आज हिंदी भाषा बोली व समझी जाती है वह खड़ी बोली का ही साहित्यिक भाषा रूप है ! 13 वीं -14 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में अमीर खुसरो ने पहली बार खड़ी बोली में कविता रची ! ब्रजभाषा को सूरदास ने , अवधी को तुलसीदास ने और मैथिली को विधापति ने चरमोत्कर्ष पर  पहुँचाया !
 
हिंदी का क्षेत्र उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश ,हरियाणा , उत्तरांचल , उत्तरप्रदेश , बिहार ,झारखंड , छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश ,राजस्थान , दिल्ली तथा दक्षिण में अंडमान निकोबार द्वीप समूह तक है ! इसके अलावा पंजाब ,महाराष्ट्र , गुजरात ,बंगाल आदि भागों में सम्पर्क भाषा के रूप में प्रयुक्त होती है !
 
हिंदी की बोलियाँ =
 
1- पूर्वी हिंदी – इसका विकास अर्धमागधी अपभ्रंश से हुआ । इसके अंतर्गत अवधी , बघेली व छत्तीसगढ़ी बोलियाँ आती है । अवधी में तुलसीदास ने प्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस व जायसी ने पदमावत की रचना की ! 
 
2- पश्चिमी हिंदी = इसका विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ । इसके अंतर्गत ब्रजभाषा , खड़ी बोली , हरियाणवी , बुंदेली और कन्नौजी आती है। ब्रजभाषा का क्षेत्र मथुरा , अलीगढ़ के पास है । सूरदास ने इसे चरमोत्कर्ष पर पहुंचाया ।  खड़ी बोली दिल्ली , मेरठ , बिजनौर , मुजफ्फरनगर , रामपुर ,मुरादाबाद और सहारनपुर के आसपास बोली जाती थी ।  बुन्देली का क्षेत्र झाँसी , ग्वालियर व बुन्देलखण्ड के आसपास है । कन्नौजी क्षेत्र कन्नौज , कानपुर , पीलीभीत आदि । हिसार ,जींद ,रोहतक ,करनाल आदि जिलों में बांगरू भाषा बोली जाती है ! 
 
3- राजस्थानी हिंदी – इसका विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ । इसके अंतर्गत मेवाड़ी ,मेवाती, मारवाड़ी और हाडौती बोलियाँ है । मेवाड़ी क्षेत्र मेवाड़ के आसपास है । मारवाड़ी का क्षेत्र जोधपुर , अजमेर , जैसलमेर ,बीकानेर  आदि है । मेवाती का क्षेत्र उत्तरी राजस्थान ,अलवर ,भरतपुर तथा हरियाणा में गुडगाँव के आसपास है । हाडौती राजस्थान के पूर्वी भाग व जयपुर के आसपास की बोली है !
 
4- बिहारी – इसके अंतर्गत भोजपुरी , मगही व मैथिली बोलियाँ है । भोजपुरी का क्षेत्र भोजपुर , बनारस ,जौनपुर ,मिर्जापुर ,बलिया ,गोरखपुर ,चम्पारन आदि तक है । मगही का क्षेत्र पटना, गया , हजारीबाग ,मुंगेर व भागलपुर के आसपास की बोली है । मैथिली का क्षेत्र मिथिला ,दरभंगा , मुजफ्फरपुर , पूर्णिया तथा मुंगेर में बोली जाती है । अब मैथिली को आठवीं अनुसूची में एक अलग भाषा के रूप में मान्यता दे दी गई है !
 
5- पहाड़ी – इसका विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ है । इसकी प्रमुख बोलियाँ गढवाली , कुमायूँनी , नेपाली हैं ! 

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Hindi Sentences (हिंदी वाक्य)

हिंदी वाक्य :- वक्ता के कथन को पूर्णत: व्यक्त करने वाले सार्थक शब्द समूह को वाक्य कहते हैं।

वाक्य में पूर्णता तभी आती है जब पद सुनिश्चित क्रम में हों और इन पदों में पारस्परिक अन्वय (समन्वय ) विद्यमान हो। वाक्य की शुद्धता भी पदक्रम एवं अन्वय से सम्बंधित है।
वाक्य के भेद:-
1. रचना की दृष्टि से:- रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं:
    (अ) सरल वाक्य
    (ब) संयुक्त वाक्य
    (स) मिश्रित वाक्य
(अ) सरल वाक्य:- जिन वाक्यों में एक मुख्य क्रिया हो, उन्हें सरल वाक्य कहते हैं। जैसे पानी बरस रहा है।
(ब) संयुक्त वाक्य:- जिन वाक्यों में साधारण या मिश्र वाक्यों का मेल संयोजक अव्ययों द्वारा होते है उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं, जैसे राम घर गया और खाना खाकर सो गया।
(स) मिश्रित वाक्य:- इनमें एक प्रधान उपवाक्य होता है और एक आश्रित उपवाक्य होता है जैसे राम ने कहा कि मैं कल नहीं आ सकूंगा।
2. अर्थ की दृष्टि से वाक्य भेद:- ये आठ प्रकार के होते हैं: –
  (1) विधानार्थक :- जिसमें किसी बात के होने का बोध हो।  जैसे मोहन घर गया।
 
  (2 ) निषेधात्मक :- जिसमें किसी बात के न होने का बोध हो। जैसे सीता ने गीत नहीं गाया।
  (3)  आज्ञावाचक :- जिसमें आज्ञा दी गई हो। जैसे यहां बैठो।
  (4) प्रश्नवाचक :- जिसमें कोई प्रश्न किया गया हो। जैसे तुम कहाँ रहते हो?
  (5) विस्मयवाचक :- जिसमें किसी भाव का बोध हो। जैसे हाय, वह मर गया।
  (6) संदेहवाचक :- जिसमें संदेह या संभावना व्यक्त की गई हो। जैसे वह आ गया होगा।
  (7) इच्छावाचक :- जिसमें कोई इच्छा या कामना व्यक्त की जाए। जैसे ईश्वर तुम्हारा भला करे।
  (8) संकेतवाचक :- जहाँ एक वाक्य दूसरे वाक्य के होने पर निर्भर हो। जैसे यदि गर्मी पड़ती तो पानी बरसता।

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