विराम चिन्ह
1. पूर्ण विराम :- ( । )
विराम चिन्ह
वाच्य :- क्रिया के जिस रूपांतर से यह बोध हो कि क्रिया द्वारा किए गए विधान का केंद्र बिंदु कर्ता है , कर्म अथवा क्रिया -भाव , उसे वाच्य कहते हैं !
वाच्य के तीन भेद हैं –
कुछ शब्द अर्थ की द्रष्टि से समान होते हुए भी लिंग की द्रष्टि से भिन्न होते हैं ! उनका उचित प्रयोग करना चाहिए !जैसे –
वचन:- संज्ञा अथवा अन्य विकारी शब्दों के जिस रूप में संख्या का बोध हो , उसे वचन कहते हैं !
2- बहुवचन :- संज्ञा के जिस रूप से एक से अधिक वस्तुओं , पदार्थों या प्राणियों का बोध होता है , उसे बहुवचन कहते हैं !
– एकवचन से बहुवचन बनाने के नियम इस प्रकार हैं –
क्रिया :- जिस शब्द से किसी कार्य का होना या करना समझा जाय , उसे क्रिया कहते हैं ! जैसे – खाना , पीना , सोना , रहना , जाना आदि !
3- नामधातु क्रियाएँ :- क्रिया को छोड़कर दुसरे शब्दों ( संज्ञा , सर्वनाम , एवं विशेषण ) से जो धातु बनते है , उन्हें नामधातु क्रिया कहते है जैसे – अपना – अपनाना , गरम – गरमाना आदि !
विशेषण : जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है उसे विशेषण कहते हैं।
विशेषण के चार भेद होते हैं:
कारक
कारक के आठ भेद हैं :-
सर्वनाम
सर्वनाम के छह भेद होते हैं !
उदाहरण के लिए निम्नलिखित वाक्य पढ़िए :